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Showing posts from October, 2019

1936 में कमला नेहरू के देहांत ने इंदिरा को बना दिया एकाकी

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इंदिरा गांधी हमारे देश की एकमात्र ऐसी प्रधानमंत्री बनी जिन्होंने पंद्रह वर्ष तक देश का नेतृत्व सफलतापूर्वक किया। उनका जन्म 19 अक्तूबर 1917 में इलाहाबाद में हुआ। वह अपनी मां कमला नेहरू तथा पिता जवाहरलाल नेहरू की एकमात्र संतान थीं। बचपन से ही वो कुशाग्र बुद्धि तथा जुझारू स्वभाव की थी। कमला नेहरू की तबीयत अधिकतर खराब रहने के कारण इंदिरा का बचपन इलाहाबाद में तथा स्विट्जरलैंड में बीता जहाँ उनकी मां का इलाज चल रहा था। उन्होंने अपनी शिक्षा विश्व भारती यूनिवर्सिटी तथा समरविले कॉलेज ऑक्सफोर्ड से प्राप्त की।   1936 में कमला नेहरू के देहांत ने इंदिरा को एकाकी बना दिया । पिता के पूरी तरह से राजनीति में लीन होने के कारण इंदिरा का परिचय देश भर के राजनेताओं से था। स्वयं इंदिरा का राजनीति की ओर कोई रुझान नहीं था।अपने पिता के देश के पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री निवास की आधिकारिक व्यवस्थापिका मनोनीत किया गया। इसी कारण कई विदेशी दौरों पर इंदिरा अपने पिता के साथ गईं। 1942 में फिरोज गांधी से उनका विवाह हुआ जो बाद में संसद सदस्य तथा राजनीतिज्ञ बने। दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु 1960 में हो गई

आईआरसीटीसी के अधिकृत एजेंट के माध्यम से बुक टिकट कैंसिल करने पर मिलेगा ओटीपी आधारित रिफंड

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भारतीय रेल ने अपने उन यात्रियों को सुविधा देने का फैसला किया है जो आईआरसीटीसी के अधिकृत एजेंट से टिकट कटाते हैं, और कैंसिल कराने पर उन्हें रिफंड की राशि के लिये जद्दोजहद करनी पड़ती है।  टिकट कैंसिलेशन प्रक्रिया को सुगम और सुसंगत बनाने के उद्येश्य से आईआरसीटीसी द्वारा नई प्रणाली लागू की जाएगी, ताकि एजेंट द्वारा कैंसिलेशन धनराशि ग्राहक को समय पर मिल सके। इसका लक्ष्य उन आरक्षित ई-टिकटों के लिए एक पारदर्शी और ग्राहकों के अनुकूल प्रणाली तैयार करना है, जो रद्द किए गए हों अथवा फुली वेटलिस्टेड ड्रॉप्ड टिकट हों। भारतीय रेल के सार्वजनिक उपक्रम - भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (आईआरसीटीसी) द्वारा यह नई प्रणाली लागू की जाएगी। यात्री के पंजीकृत मोबाइल नम्बर (बुकिंग के समय ग्राहक/यात्री द्वारा एजेंट को दिया गया नम्बर) पर एसएमएस के रूप में ओटीपी भेजा जाएगा। रिफंड की राशि पाने हेतु, ग्राहक/यात्री के लिए टिकट बुक करने वाले एजेंट के साथ ओटीपी साझा करना होगा, जिससे एजेंट द्वारा रद्द की गई धनराशि ग्राहक को समय पर मिल सकेगी। इसके लिये ग्राहकों को कुछ बातों पर ध्यान देना होगा, जैसे- यह ध्यान रख

संवैधानिक, प्रशासनिक, कंपनी, पर्यावरण तथा निर्वाचन कानूनों के विशेषज्ञ हैं, अगले प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे

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    उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति  शरद अरविंद बोबडे को राष्ट्रपति ने भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति बोबडे 18 नवंबर, 2019 को शपथ लेंगे। न्यायमूर्ति  शरद अरविंद बोबडे संवैधानिक, प्रशासनिक, कंपनी, पर्यावरण तथा निर्वाचन कानूनों के विशेषज्ञ हैं।    न्यायमूर्ति  शरद अरविंद बोबडे 12 अप्रैल, 2013 से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हैं। इससे पहले वह 16 अक्टूबर, 2012 से लगभग छह महीने के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। वह 29 मार्च, 2000 से बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त जज और 28 मार्च, 2002 से स्थायी जज रहे हैं।    न्यायमूर्ति  बोबडे का जन्म 24 अप्रैल, 1956 को हुआ और वह 13 सितंबर, 1978 को अधिवक्ता बने। उन्होंने उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ और नागपुर जिला न्यायालय में वकालत की और उन्होंने समय-समय पर बॉम्बे हाई कोर्ट और उच्चतम न्यायालय में सिविल, संवैधानिक, श्रम, निर्वाचन तथा कराधान मामलों में अधिवक्ता के रूप में अपनी सेवा दी। वर्तमान  मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई का कार्यकाल 17 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है।  न्यायमूर्ति रंजन गोगो

दीपों की पंक्ति से बनी है दीपावली

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दीपावली एक पौराणिक और प्रसिद्ध उत्सव है, जिसे विदेशों में भी मनाया जाता है। आदि काल में मानव को सबसे पहले आग की खोज थी। उसके बाद दीप की उत्पत्ति हुई। फिर मानव ने पत्थर से दीप जलाना सीखा। उस काल में तेल के स्थान पर पशु चर्बी का प्रयोग किया जाता था। दीप की बत्ती वृक्षों के पतली छाल को ऐंठकर बनाई जाती थी।     कालांतर में कुम्हारों के द्वारा मिट्टी के दीप बनाने की परंपरागत शुरुआत हुई। दीपावली दो शब्दों दीप और आवली (पंक्ति) से मिलकर बना है। जिसका वास्तविक अर्थ है दीपों की पंक्ति । दीपों की टिमटिमाहट, झिलमिलाहट जगमगाहट एवं पटाखों की आवाज को सुनकर, उसके जलाने की कारणों की जिज्ञासा बढ़ती जाती है। पटाखों का मूल तत्व बारूद है। बारूद तुर्की भाषा का एक शब्द है जो अग्नि के समानार्थक शब्द है। बारूद के आविष्कार का सेहरा चीन के सिर है। बारूद मुख्य रूप से काष्ठ कोयले का चूर्ण और गंधक का मिश्रण है। बारूद बनाने के लिए सर्वप्रथम इस मिश्रण को नाइट्रेट के घोल में मिलाकर सुखाया जाता है। इसके बाद कागजों के खोल में भरकर तैयार किया जाता है।     दीपावली मनाने के पीछे का ऐतिहासिक कारण हमारे धर्मग्रंथ रामायण से प्

त्‍यौहार के मौसम में यात्रियों के साथ खुशियां बांट रहा है, भारतीय रेलवे

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इन दिनों अगर आप रेलवे से अपने परिवार के साथ घर की ओर जा रहे हैं, और आपको किसी खास स्टेशन पर यह पूछा जाए कि क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूं, तो वाकई यात्रा की थकान में कमी होगी, यह कहा जा सकता है। त्योहार के मौसम में रेलवे अपने यात्रियों को ऐसी ही खुशी और सुविधा देने जा रहा है, जब महत्‍वपूर्ण स्‍टेशनों पर “क्‍या मैं आपकी मदद कर सकता/सकती हूं” बूथ काम करेंगे जहां आरपीएफ जवान और टीटीई यात्रियों की उपयुक्‍त सहायता और मार्गदर्शन करेंगे। जरूरत पड़ने पर प्रमुख स्‍टेशनों में चिकित्‍सकों के दल उपलब्‍ध होंगे। अर्द्धचिकित्‍सकों के साथ एम्‍बुलेंस भी उपलब्‍ध रहेगी। मेल/एक्‍सप्रेस/यात्री ट्रेनों को निर्धारित समय पर रवाना करने के उपाय किए गए हैं। किसी तरह के भ्रष्‍टाचार – जैसे सीट बेचने, ओवर चार्जिंग और दलाली आदि पर सुरक्षा और सतर्कता विभाग के अधिकारियों द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है। जोनल मुख्‍यालयों ने प्रतीक्षा हॉलों, रिटायरिंग रूम, यात्रियों की सुख-सुविधा वाले क्षेत्रों और स्‍टेशनों में सफाई बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, त्योहारों के मौसम आते ही शहरों, महानगरों में रहने वाले लोग अपने

25 अक्टूबर को जयपुर में आयोजित होगा  चौथा आयुर्वेद दिवस 

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25 अक्टूबर 2019 को राजस्थान के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर में चौथा आयुर्वेद दिवस आयोजित किया जाएगा।  इस संस्थान में धनवंतरी पूजन और 'राष्ट्रीय धनवंतरी आयुर्वेद पुरस्कार-2019' समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।  भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने 2016 से प्रत्येक वर्ष धनवंतरी जयंती (धनतेरस) के दिन आयुर्वेद दिवस मनाने का निर्णय लिया था। इस अवसर पर, मंत्रालय 3-4 आयुर्वेद विशेषज्ञों को 'राष्ट्रीय धनवंतरी आयुर्वेद पुरस्कार' से भी सम्मानित करता है, जिसमें प्रशस्ति-पत्र, ट्राफी (धनवंतरी की मूर्ति) और पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार शामिल हैं। आयुष मंत्रालय के संगठन यानी अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) नई दिल्ली, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), आयुर्वेद स्नातकोत्तर प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईपीजीटी एंड आरए) जामनगर, भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी फार्माकोपिया आयोग (पीसीआईएम एंड एच) गाजियाबाद और पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान (एनईआईएएच) शिलांग भी इस कार्यक्रम में अपनी भागी

द जॉय ऑफ सिनेमा थीम पर आधारित हैं 50वें आईएफएफआई के तहत प्रदर्शित की जाने वाली फिल्‍में 

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भारत-अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव (आईएफएफआई), गोवा 20 से 28 नवम्‍बर, 2019 तक अपनी स्‍वर्ण जयंती मना रहा है। 50वें भारत-अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ने थीम पर प्रदर्शित होने वाली फिल्मों की सूची जारी कर दी है। ये फिल्‍में द जॉय ऑफ सिनेमा थीम पर आधारित हैं।  भारतीय पैनोरमा वर्ग में दर्शकों के लिए कॉमेडी फिल्‍मों का प्रदर्शन किया जायेगा। इस वर्ष 21 नवम्‍बर से 27 नवम्‍बर 2019 तक दो स्‍थानों – जौगर्स पार्क, एल्टिनहो, पणजी तथा मीरामर बीच, पणजी पर फिल्‍मों का प्रदर्शन किया जाएगा। जौगर्स पार्क में कॉमेडी पर आधारित फिल्‍मों का प्रदर्शन होगा जबकि मीरामर बीच में भारतीय पैनोरमा वर्ग के कुछ चुनिंदा फिल्‍मों का प्रदर्शन किया जाएगा। जो नि्म्नलिखित रूप में हैं- जौगर्स पार्क, एल्टिनहो में प्रदर्शित किए जाने वाली फिल्‍में     चलती का नाम गाड़ी (1958) पड़ोसन (1968) अंदाज़ अपना अपना (1994) हेरा-फेरी (2000) चैन्‍नई एक्‍सप्रेस (2013) बधाई हो (2018)  टोटल धमाल (2019) मीरामर बीच में प्रदर्शित किए जाने वाली फिल्‍में-  नाचोम-इया कम्‍पासर (कोंकणी) सुपर 30 (हिन्‍दी) आनंदी गोपाल (मराठी) उरी : द सर्जिकल स्‍ट्राइ

प्रयागराज में आयोजित होने वाले हुनर हाट मेले में मिलेंगे बेहतरीन हस्तनिर्मित उत्पाद 

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  1 से 10 नवम्बर 2019 तक प्रयागराज (यू.पी.) के नॉर्थ सेंट्रल जोन कल्‍चरल सेंटर में अगले हुनर हाट का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्‍पाद जैसे असम के बांस व जूट उत्पाद, वाराणसी सिल्क, लखनऊ की चिकनकारी, सिरेमिक, कांच के बने सामान व चर्म उत्‍पाद, उत्तर प्रदेश के पारंपरिक हस्तशिल्प, उत्तर पूर्वी क्षेत्र के पारंपरिक हस्तशिल्प, गुजरात से बंधेज, मिट्टी का काम व तांबा उत्पाद, आंध्र प्रदेश से कलमकारी और मंगलागिरी, राजस्थान से संगमरमर की कलाकृतियां और हस्तशिल्प, बिहार से मधुबनी पेंटिंग, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक से लकड़ी का काम, मध्य प्रदेश से ब्लॉक प्रिंट, पुदुचेरी से आभूषण और मोती, तमिलनाडु से चंदन के उत्पाद, पश्चिम बंगाल से हाथ की कढ़ाई वाले उत्पाद, कश्मीर-लद्दाख की दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां आदि प्रदर्शित किए जाएंगे।  केंद्रीय अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने इसके बारे में बताते हुए कहा कि अल्‍पसंख्‍यक मंत्रालय पांच वर्षों के दौरान पूरे देश में 100 हुनर हाटों का आयोजन करेगा। हुनर हाट दिल्‍ली, गुरूग्राम, मुंबई, चेन्‍नई, कोलकाता, बेंगलुरू, लखनऊ, अहमदाबाद, द

"धूल का फूल" के निर्देशन के साथ यश चोपड़ा ने की थी अपने कैरियर की शुरुआत

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हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के ऐतिहासिक नगर लाहौर में हुआ। इनका पूरा नाम यश राज था। इन्होंने यश अपना लिया और राज को राज ही रहने दिया।    यश राज ने अपने भाई बलदेव राज चोपड़ा और इंदरजीत सिंह जौहर के साथ बतौर सहायक निदेशक फिल्म जगत में प्रवेश किया। 1959 में "धूल का फूल" के निर्देशन के साथ अपनी कैरियर की शुरुआत की। 1961 में "धर्मपुत्र" का निर्माण बेमिसाल रहा। 1965 में वक्त की अपार लोकप्रियता से उत्साहित होकर इन्होंने 1973 में फिल्म कंपनी "यश राज फिल्म्स" की स्थापना की। 1973 में "दीवार", 1976 में "कभी कभी", 1978 में "त्रिशूल", 1981 में "सिलसिला" से अमिताभ बच्चन को बॉलीवुड में स्थापित किया। 1989 में इनकी निर्मित फिल्म "चांदनी" अत्यंत सफल रही। 1991 में इनकी क्लासिकल फिल्म "लम्हे" आई। 1993 में नवोदित कलाकार शाहरुख खान को लेकर "डर" बनाई। 1997 में "दिल तो पागल है", 2004 में "वीरजारा" और 2012 में "जब तक है जान" का

झारखंड के इस गांव में क्यों कह रहे हैं लोग, रोड नहीं तो वोट नहीं

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झारखंड के जमशेदपुर स्थित उत्तर पूर्वी गदरा ग्राम सभा में गांव वाले इन दिनों मिलकर रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे लगा रहे हैं। इस नारे के साथ ही ग्रामीणों ने एक साथ मिलकर यह भी शपथ लिया है कि आने वाले चुनाव में प्रचार में आए सभी नेताओं के साथ साथ सरकारी योजनाओं का भी बहिष्कार करेंगे। दरअसल गदरा के ये निवासी पिछले लंबे समय से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत अपने यहां पक्की सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन यह इंतजार का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा। इस खराब रास्ते से गुजरना खतरे को न्योता देने के बराबर है। अक्सर यहां दुर्घटनाएं होती रहती हैं।  इसके लिये कई बार ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों के पास सड़क बनवाने की गुहार लगाई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। इसलिये थक हारकर ग्रामीणों ने एक जुट होकर ग्राम सभा की बैठक बुलाकर हल निकालने की पहल की है।। इस बैठक में मुखिया एवं पंचायत समिति के सदस्यों के साथ महिला समिति एवं सभी गांव वासियों ने हिस्सा लिया। जिन्हें संबोधित करते हुए बुद्धिजीवियों ने समस्या के समाधान के लिये अपने सुझाव देते हुए कहा कि यूँ तो पंचायत व्य

सैनिक विद्यालयों में लड़कियों के प्रवेश को रक्षामंत्री की मिली मंजूरी

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अब से सैनिक विद्यालयों में लड़कियों का प्रवेश भी हो सकेगा। इसके लिये रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सैनिक विद्यालयों में लड़कियों के सत्र 2021-22 से चरणबद्ध तरीके से प्रवेश के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। यह फैसला मंत्रालय द्वारा दो साल पहले मिजोरम के सैनिक विद्यालय छिंगछिप में लड़कियों के प्रवेश की प्रायोगिक परियोजना की सफलता को देखते हुए लिया गया है। रक्षामंत्री ने संबंधित अधिकारियों को इस फैसले को निर्बाध तरीके से लागू करने के लिए सैनिक विद्यालयों में पर्याप्‍त महिला कर्मचारियों और आवश्‍यक आधारभूत संरचना की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है  कि यह फैसला सरकार के समग्रता, लैंगिक समानता, सशस्‍त्र बलों में महिला भागीदारी को बढ़ाने के उद्देश्‍य की पूर्ति और प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी द्वारा चलाये जा रहे 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान को मजबूत करने के लक्ष्‍य के अनुरूप है।   

आईएफएफआई में गोल्डन पीकॉक पुरस्कार पाने के लिए 20 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली इन 15 फिल्मों के बीच होगा कड़ा मुकाबला

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भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के स्वर्ण जयंती संस्करण में प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक पुरस्कार पाने के लिए 20 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली 15 फिल्मों के बीच कड़ा मुकाबला होगा। इन फिल्मों का चयन सात सौ से अधिक फिल्मों के बीच से किया गया है। इनमें पेमा सिदान की बलून(चीन), अली आईदिन की क्रोनोलाजी(तुर्की),एंड्रेस होर्वाथ की लिलियन(आस्ट्रिया),वेगनर मौरा की मैरीघेला(ब्राजील), हंस पीटर मोलंद की  आउट स्टीलिंग होर्सस (नार्वे,स्वीडन,डेनमार्क), बेल्ज हेरीसन की पार्टिकल(फ्रांस/स्विटजरलैंड), ग्रेगोर बोजिक की स्टोरीज फॉम द चेस्टनट वुड्स(स्लोवेनिया),योसेप अंजी नोइन की द साइंस आफ फिक्शन(इंडोनेशिया,मलेशिया और फ्रांस), इरडिनबिलेग गनबोल्ड की स्टीड(मंगोलिया) क्रिस्तोफ डेक की केप्टिव(हंगरी) और बेन रेखी की वाच लिस्ट( फिलिपींस) प्रतियोगिता में हैं। प्रतियोगिता खंड में महिला फिल्म निर्माता सोफी डेरेस्पे की एंटीगोन और महनाज मोहम्मदी की सन-मदर शामिल हैं।      50वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में भारत का प्रतिनिधित्व अनंत नारायण महादेवन के निर्देशन में बनी मराठी फिल्म माई घाट

विकास की बड़ी छलांग लगाने को तैयार दिल्लीः अरविंद केजरीवाल

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नई दिल्ली में आयोजित एसोचैम के कार्यक्रम 'दिल्ली की सोच' में शामिल हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि  पिछले पांच वर्षों में दिल्ली सरकार ने शहर की बुनियादी जरूरतों को ठीक करने की कोशिश की है, लेकिन अब राष्ट्रीय राजधानी विकास के मामले में एक बड़ी छलांग के लिए तैयार है। अपने कार्यकाल में किये गये कार्यों के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर के 93 प्रतिशत हिस्से में पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है, जबकि शेष सात प्रतिशत क्षेत्र में काम चल रहा है, अगले 1.5-2 वर्षों में सभी घरों में नल का जल पहुंचेगा । "अभी भी हमारे पास 24-घंटे की पानी की आपूर्ति नहीं है, हम इस पर काम कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि अगले दो वर्षों में दिल्ली भर में पानी की पर्याप्त उपलब्धता है और हम इसके लिए विभिन्न तकनीकी तरीकों को लागू कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, शिक्षा क्षेत्र के विकास में दिल्ली सरकार के प्रयासों की दुनिया भर में चर्चा हो रही है। “सरकारी स्कूलों में शिक्षण पैटर्न में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। इसके अलावा, हम अपनी मर्जी से अपनी फीस बढ़ाते

सौ वर्ष के सबसे बुजुर्ग हवलदार को किया गया सम्मानित

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लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. भट्ट, यूआईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम सैन्‍य सचिव एवं कर्नल 9 वीं गोरखा राइफल्स तथा मेजर जनरल डीए चतुर्वेदीपीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम, एडीजी टीए और कर्नल 3 गोरखा राइफल्स ने 9वीं गोरखा राइफल्स के सबसे बुजुर्ग जीवित हवलदार देवी लाल खत्री को सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें 07 अक्‍टूबर, 2019 को बीरपुर, देहरादून में तीसरी और नौवीं गोरखा राइफल्‍स के बुजुर्ग सैनिकों के लिए आयोजित वार्षिक बाराखाना के अवसर पर प्रदान किया गया। देहरादून तीसरी और नौवीं गोरखा रेजिमेंट का परंपरागत घर है क्‍योंकि इन रेजिमेंटों का 1932 से 1975 तक बीरपुर ही केंद्र रहा है। दोनों रेजिमेंटों के अनेक गोरखा सिपाही देहरादून में ही बस गए है। दशहरे के अवसर पर तीसरी और नौवीं गोरखा यूनिट बाराखाना के लिए ऐसे बुजुर्ग सैनिकों को आमंत्रित करती हैं। 30 नवंबर, 1940 कोहवलदार देवी लाल खत्री बीरपुर में 1/9 जीआर में भर्ती हुए थे। बाद में उन्‍हें 3/9 जीआर में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्होंने 1958 में सेवानिवृत्त होने तक सेवा की। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा के मोर्चे पर सक्रिय कार्रवाई देखी है। खत्री स्

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के बाज़ारों में जल्द दिखाई देगा छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क

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छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क के दीवाने देश ही नहीं विदेशों में भी हैं। नायाब बुनकरी की कोसा सिल्क साड़ी की दीवानगी अब श्रीलंका में भी दिख रही है। छत्तीसगढ़ के कोसे की साड़ी को लेकर श्रीलंका से आए प्रतिनिधियों ने अपनी रुचि दिखाई है। यही वजह है कि हस्तशिल्प की मांग और लोकप्रियता को देखते हुये श्रीलंका की सरकार ने छत्तीसगढ़ से हैंडलूम उत्पादों को लेकर एक समझौता किया है। जल्द ही जल्द ही कोसा सिल्क श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के बाज़ारों में जल्द दिखाई देगा। छत्तीसगढ़ के जाँजगीर, रायगढ़, बिलासपुर सहित कोरबा के कोसा सिल्क की आपूर्ति धीरे- धीरे श्रीलंका के अन्य शहरों में भी उपलब्ध करायी जाएगी। यहाँ के कोसा सिल्क साड़ी अब श्रीलंका की महिलाओं की भी खूबसूरती में चार चाँद लगाएगी। 13 अक्तूबर को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला में छत्तीसगढ़ हथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ बिलासा एम्पोरियम और श्रीलंका के सहकारिता विकास विभाग की ओर से एक साझा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, जिसके तहत आपसी व्यापार और व्यवसाय को सहयोग और बढ़ावा दिया जाएगा। यह समझौता दो सालों के

डॉ. कलाम के अनमोल वचन आज भी युवा पीढ़ी के लिये प्रेरक

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डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम् के निकट धनुषकोडि गांव में हुआ था। वे एक निम्न-मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में जन्मे थे। उनके पिता जैनुल आब्दीन न ज्यादा शिक्षित थे और न ही अधिक पैसे वाले। किराए पर नाव देकर वे परिवार का भरण-पोषण करते थे। डॉ. कलाम पांच भाई-बहन थे। जब वे पांच वर्ष के थे तो उनके स्कूल के शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था - जीवन अपने अनुकूल बनाने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था व अपेक्षा जैसी तीन शक्तियों को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए और उन पर प्रभुत्व स्थापित कर लेना चाहिए। डॉ. कलाम ने यह शिक्षा जीवन भर ग्रहण की। आरंभिक शिक्षा के लिए उन्होंने अखबार वितरण का कार्य भी किया। डॉ. कलाम जब 8-9 वर्ष के थे तो प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर स्नान आदि कर अपने अध्यापक स्वामी से गणित सीखने जाया करते थे। स्वामी हर वर्ष पांच छात्रों को मुफ्त ट्यूशन पढ़ाते थे, परंतु उनकी शर्त थी कि उनकी कक्षा में हर बच्चा नहा कर पहुंचे। मुफ्त शिक्षा के लाभार्थ कलाम को उनकी मां सुबह उठाकर, नहला-धुलाकर, नाश्ता कराकर गणित पढ़ने भेजती थी। डॉ. कलाम ने अनेक मौकों पर कहा भी है कि मैं आज

समाजसेवी अशोक अज्ञानी दिल्ली में डी डी ए गठबंधन के मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित।

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दिल्ली डेमोक्रेटिक एलायंस "डीडीए" के  संयोजक एवं प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक अज्ञानी वाल्मीकि को गठबंधन की ओर से वर्ष 2020 में होने वाले दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया गया। यह घोषणा गठबंधन में शामिल रिपब्लिकन डेमोक्रेटिक एलायंस के प्रमुख व पूर्व डीजीपी पृथ्वी राज एवं इंडियन नेशनल लीग के प्रमुख मो.सुलेमान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। इस मौके पर आधा दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों और दर्जनों सामाजिक संगठनों के नेता मौजूद थे। इससे पहले गठबंधन की हुई, बैठक में पृथ्वी राज ने अज्ञानी के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी नेताओं ने एक मत से समर्थन किया। नेताओं ने कहा कि वे दिल्ली की सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करेंगे और सरकार बनाएंगे। उनका नारा है, "दिल्ली में अबकी बार वाल्मीकि मुख्यमंत्री मेहनतकश सरकार"। इस बारे में समाजसेवी अशोक अज्ञानी ने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई है, उसे पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे।    

फिल्म ज्वेल थीफ में पहली बार खलनायक के रुप में दिखे दादामुनि

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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में दादामुनि के नाम से मशहूर अशोक कुमार का जन्म भागलपुर के बंगाली परिवार में आज ही के दिन13 अक्टूबर 1911 को हुआ था। इनका वास्तविक नाम कुमुद कुमार गांगुली था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में प्राप्त की। इसके बाद स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की। अशोक कुमार को बचपन से ही फिल्मों में काम करके शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने की चाहत थी। 1936 में बॉम्बे टॉकीज की फिल्म जीवन नैया से इनका फिल्मी सफर शुरू हुआ। 1937 में अछूत कन्या आई।  इन फिल्मों में देविका रानी अशोक कुमार की नायिका रही। 1943 में आई किस्मत ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए कोलकाता का चित्रा सिनेमा हॉल में लगभग 4 वर्ष तक चलने का रिकॉर्ड बनाया। 1949 में की फिल्म महल ने अभिनेत्री मधुबाला के साथ-साथ पार्श्व गायिका लता मंगेशकर को भी शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचाया। 1967 की फिल्म ज्वेल थीफ में ये पहली बार खलनायक के रूप में दिखे।     दूरदर्शन के इतिहास के धारावाहिकों में हम लोग, भीम भवानी, बहादुर शाह जफर और उजाले की ओर में अभिनय के जौहर दिखाए। ये दो बार सर्वश्रेष्

त्योहार के मौसम में भी फीकी पड़ी है इस बाजार की रौनक

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त्योहार हर घर में हर्षोल्लास लेकर आता है। हर चेहरे पर रौनक तो रहती ही है, बाजार में भी चहल पहल बढ़ जाती है। लोग जमकर खरीदारी करते हैं। इसलिये व्यापारी भी इन्हीं दिनों अपने सालभर के मुनाफे देखते हैं। मगर इस बार त्योहार के उत्साह में कुछ कमी देखने को मिल रही है। लोग अपनी जेब देखते हुए कम खर्चे में त्योहार मनाने की सोच रहे तो वहीं बाजार में भी पहले जैसी रौनक नजर नहीं रही है। पूरे देश दुनियां में जिस सूरत के व्यापारियों की बात लोग करते हैं, आज वहाँ भी उदासी की झलक है। दीपावली के मौसम में व्यापारियों के चेहरे की रोशनी मध्यम पड़ गई है। यह असर सूरत में टेक्सटाइल उद्योग, डायमंड, जरी के काम काज, एस्टेट डेवलपर्स के काम काज में खास तौर से दिख रहा है। इस बारे में फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल एसोसिएशन(फोस्टा) के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान समय में अगर कपड़ा व्यापार की बात करते हैं, जबसे जी.एस.टी. एवं नोटबंदी लागू हुआ है, सूरत का कपड़ा उद्योग दिन-प्रतिदिन प्रभावित हुआ है। आज दीपावली के सीजन में भी कपड़े के व्यापार में कोई रौनक नहीं है। वर्षों से सूरत में कपड़ा व्यापार चल रहा है, लेकिन पहल

इंडिया गेट के इस मेले में है लोगों से साझा करने के लिये एस एच जी की महिलाओं के संघर्ष की कहानी

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10 से 23 अक्‍टूबर तक इंडिया गेट पर सरस आजीविका मेले का आयोजन किया गया है, जो केन्‍द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के दीन दयाल दयाल उपाध्‍याय योजना की एक पहल है। इसका उद्देश्‍य ग्रामीण महिला स्‍वयं सहायता समूहों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने, उत्‍पादों को बेचने और थोक खरीदारों के साथ सीधे संपर्क बनाने का अवसर प्रदान करना है।  इस मेले में प्रत्‍येक स्‍टॉल में स्‍वयं सहायता समूहों की महिलाओं के पास लोगों के साथ साझा करने के लिए अपने संघर्षों की एक कहानी है। मेले के दौरान इन महिलाओं के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी, जो उन्‍हें अपना ज्ञान बढ़ाने तथा अपने उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग, विपणन, ई-मार्केटिंग तथा लोगों तक आसानी से अपनी बात पहुंचाने का कौशल निखारने में मदद करेंगी। सरस आजीविका मेले में दिल्‍ली और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों के लिए हथकरघा, हस्‍तशिल्‍प और प्राकृतिक खाद्य उत्‍पाद प्रदर्शित किए गए हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय व्‍यंजनों के फूड कोर्ट भी लगाए गएं हैं। मेले की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं।     हथकरघा-  साड़ियां – मेले में आंध्रप्रदेश की कलमकारी, बिहार क

एशिया में लगने वाले विशालतम हस्‍तनिर्मित कालीन मेलों में से एक है, इंडिया कार्पेट एक्‍सपो

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11 से 14 अक्टूबर के बीच वाराणसी में 38वें इंडिया कार्पेट एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन सीईपीसी द्वारा संपूर्णानंद संस्‍कृत यूनिवर्सिटी ग्राउंड में सांस्‍कृतिक धरोहर और भारतीय हस्‍तनिर्मित कालीनों और फ्लोर कवरिंग की बुनाई के कौशलों को बढ़ावा देने के लक्ष्‍य के साथ विदेशों से आने वाले कालीन के खरीददारों के लिए किया जा रहा है। इंडिया कार्पेट एक्‍सपो कालीन के अंतरराष्‍ट्रीय खरीददारों, क्रेता घरानों, क्रेता एजेंटों, आर्किटेक्‍ट्स और भारतीय कालीन विनिर्माताओं तथा निर्यातकों के लिए मुलाकात करने और कारोबारी संबंध स्‍थापित करने का मंच है। यह एक्‍सपो साल में दो बार वाराणसी और दिल्‍ली में आयोजित किया जाता है। इंडिया कार्पेट एक्‍सपो एशिया में लगने वाले विशालतम हस्‍तनिर्मित कालीन मेलों में से एक है। कालीन खरीदने वालों की आवश्‍यकता के अनुसार किसी भी तरह के डिजाइन, रंग, गुणवत्‍ता और आकार को अपनाने की विलक्षण भारतीय क्षमता ने उसे अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में बेहद जाना-पहचाना नाम बना दिया है। यह उद्योग भारत के विभिन्‍न हिस्‍सों से ऊन, रेशम, मानव निर्मित फाइबर, जूट, कॉटेन और विभिन्‍न प्रकार के क

छत्तीसगढ़ भवन में फेस्टिवल सेल के तहत हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन

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  दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ भवन में फेस्टिवल सेल के तहत हस्तशिल्प प्रदर्शनी और सेल लगाई गयी है ,  जिसमें छत्तीसगढ़ के बुनकर राज्य की खास पहचान कोसा सिल्क की साड़ियाँ लेकर पहुंचे हैं। 7-14 अक्तूबर तक लगाई गयी प्रदर्शनी में  टसर सिल्क   में   हैंड ब्लॉक वर्क ,   ट्राइबल आर्ट और एप्लिक वर्क  आदि की कई वेराइटी की साड़ियाँ उपलब्ध हैं।  यहां कॉटन की चादर ,  नेचुरल डाई से तैयार कोसा सिल्क सहित अनेक वैरा इटी   मिल रहे  हैं। कारीगरों के द्वारा हाथों से बुने कपड़े अक्सर व्यक्तित्व की खूबसूरती बढ़ा देते हैं। यही वजह है कि हैंडलूम के आइटम्स की हमेशा डिमांड रहती है। छत्तीसगढ़ में हैंडलूम को लेकर विशेष तरह का काम हो रहा है। साड़ी से लेकर कई तरह के ड्रेस मटेरियल बन रहे हैं ,  जिसे लेकर राज्य के कारीगर प्रदर्शनी में पहुंचे हैं। प्रदर्शनी में  छत्तीसगढ़ के बस्तर के शिल्पी कोसा सिल्क साड़ियां  लेकर आए  हैं। इन साड़ियों की खासियत है कि साड़ी पर  मु रिया आदिवासियों की संस्कृति ,  उनकी जीवन शैली ,  मान्यताएं आदि उकेरी गई हैं।  वहीं  रायगढ़  से आए कारीगर एप्लिक वर्क की साड़ियाँ लेकर आयें हैं ,  जिसमें कपड़े को काटकर डिज़ाइन त

अध्यात्म की नगरी ऋषिकेष, देश ही नहीं विदेशी आकर्षण का भी है महत्वपूर्ण केन्द्र

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  हरिद्वार में जहां शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिये जहाँ बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान करने आते हैं वहीं इसकी कुछ ही दूरी पर बसा ऋषिकेष अपनी अलग विशेषता के कारण आकर्षित करता है। यहाँ त्रिवेणी घाट पर बैठने से जैसे खुद को जानने का अवसर मिलता है। अध्यात्म की नगरी ऋषिकेष, देश ही नहीं विदेशी आकर्षण का भी महत्वपूर्ण केन्द्र बिंदु है। मन की शांति पाने एवं स्वयं की तलाश में सालों भर अध्यात्मिक पर्यटक यहाँ आकर जीवन दर्शन से परिचित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि पवित्र नदियों- गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम से बने इस त्रिवेणी घाट पर स्नान करने से तन-मन सब पवित्र हो जाते हैं। यहाँ आना मनोरम प्रतीत इसलिये भी होता है कि घाट के सामने दूसरे छोर पर पहाड़ और जंगल इसे प्रकृति से पूरी तरह जोड़ती है। त्रिवेणी घाट पर हर शाम होने वाली गंगा आरती भक्तों के रोम-रोम में भक्ति भाव भर देती है। गंगा आरती के बाद होने वाले भजन संध्या और उस पर भक्तों द्वारा किये गये भाव नृत्य ऋषिकेष भ्रमण करने आये पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। इस भजन संध्या में बीरेन्द्र वर्मा और उनकी टीम की मधुर गायिकी श्रोताओं और दर्शकों को इसमें शामि

वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिेये 100 करोड़ लोगों तक पहुंचेगी ई-दंतसेवा

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मुंह संबंधी स्‍वास्‍थ्‍य की जानकारी के लिए ई-दंतसेवा पहला राष्‍ट्रीय डिजिटल प्‍लेटफॉर्म है, जो डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य की दिशा में यह एक महत्‍वपूर्ण कदम है। वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिेये ई-दंतसेवा 100 करोड़ लोगों तक पहुंचेगी।   "ई-दंतसेवा पहला राष्‍ट्रीय डिजिटल प्‍लेटफॉर्म है, जो वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिये मुंह संबंधी स्‍वास्‍थ्‍य की जानकारी प्रदान करता है। दांतों का खराब स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यक्ति के विकास के सभी आयामों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। दांतों का खोखला होना और समय-समय पर दांत संबंधी बीमारियां भारत के लोगों की आम शिकायत है। दांतों की संक्रामक बीमारियों से गंभीर रोग हो सकते है। एम्‍स तथा अन्‍य हितधारकों के सहयोग से मंत्रालय की यह पहल लोगों को मुंह संबंधी स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में जागरूक बनाएगी।" यह बात केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन नई दिल्‍ली में ई-दंतसेवा वेबसाइट और मोबाइल ऐप लॉन्‍च के मौके पर कही। ई-दंतसेवा में राष्‍ट्रीय मुंह संबंधी स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम, सभी दंत कॉलेजों और सुविधाओं की सूची, जानकारी व संचार संबंधी सामग्री तथा एक अनूठ

ग्रामीण शिल्पियों की कलाकृतियां बन रही हैं दिल्ली वालों की खास पसंद

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    महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित इन्दिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स में 'रुरल बिज़नेस समिट और ट्रेड फेयर' का आयोजन किया गया है। ट्रेड फेयर में विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी लगाई गयी है। इस दौरान छत्तीसगढ़ की बेजोड़ धातु शिल्पकला की झलक देखने को मिल रही है। प्रदेश की बेलमेटल से मूर्तियाँ बनाने की कला उत्कृष्ट है।  ग्रामीण शिल्पियों की इन कलाकृतियों को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। इन कलाकृतियों में सर्वाधिक आदिवासी जीवनशैली और संस्कृति से संबंधित, वन्यजीव, देवी देवताओं की मूर्तियाँ आकर्षण का केंद्र बनी है। पूजा कक्ष हो या स्वागत कक्ष हर जगह इन मूर्तियों को रखा जा सकता है। जिनकी कीमत 100 से लेकर 10 हजार तक है। वहीं, ये कलाकृतियाँ आदिवासी मान्यताएँ और परंपराओं से भी जुड़ी हुईं हैं।  कलाकृतियों में दिख रही मान्यताओं की झलक कलाकृतियों में आदिवासी मान्यताएँ और परंपराएं भी दिख रही है। बस्तर से आए कलाकारों ने बताया कि धातु से बनी 'तुरही' पूजा पाठ के दौरान बजाना शुभ माना जाता है। वहीं, घर में 'रावघोड़ा' रखने स

केवल बदबू ही नहीं, रोजगार भी देता है कचरा

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हम हर चीज जिसे बेकार समझकर फेंक देते हैं, गंदगी समझकर उससे दूर भागते हैं, दरअसल उन सारी चीजों की भी बहुत उपयोगिता है। यानि हमारे द्वारा प्रयोग में लायी गई वस्तु जो बाद में हमारे लिये बेकार हो जाती है, उसे रिसाइकिल कर दुबारा से हमारे लिये ही प्रयोग में लाया जाता है, तो कहना गलत नहीं होगा। मतलब इस संसार में हर चीज हर बार उपयोगी है, चाहे वह कचरा ही क्यों न हो। कचरा जिसे अपने आस-पास देखकर हम अपनी नाक बंद कर लेते हैं, वह पुनः एक तकनीकी प्रक्रिया के बाद हमारे उपयोग में आता है। सड़क निर्माण, खेतों में खाद, रसोई गैस, इंधन, फ्यूल जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों में कचरे को संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिये कचरे को बेकार नहीं बल्कि संसाधन कहें तो ज्यादा सटिक होगा। या कह सकते हैं कि इसका प्रबंधन बहुत मायने रखता है। कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहे पाथेय के संस्थापक गिरिजेश चौबे बताते हैं कि कचरा हमारे लिये संसाधन है जिसने समाज में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दिया है, इसलिये यह बेकार नहीं बल्कि सोने के समान है।   

चीन और पाकिस्तान के पास अभी तक नहीं है ऐसी मिसाइल

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          रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (ड़ीआरडीओ) ने गत 30 सितम्बर को ओडिशा में  बालेश्वर जिले  के चांदीपुर रेंज से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के जमीनी संस्करण का सफल परीक्षण किया।  यह ऐसी क्रूज मिसाइल है, जिसे थल, जल और हवा से दागा जा सकता है। इसकी मारक क्षमता अचूक है। चीन-पाक के पास ऐसी मिसाइल नहीं है । डीआरडीओ के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार  परीक्षण किये गये ब्रह्मोस मिसाइल में पूर्व की तुलना में अधिक स्वदेशी उपकरण लगाये गये हैं । सूत्रों के अनुसार  8.4 मीटर लंबी और 0.6 मीटर चौड़ी यह मिसाइल 300 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। यह ध्वनि की गति से भी 2.8 गुना तेज गति से मार करती है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में चीन और पाकिस्तान के पास अभी तक ऐसी मिसाइल नहीं है, जिसे जमीन, समुद्र और आसमान तीनों जगहों से दागा जा सके।  भारत और रूस इस मिसाइल की मारक दूरी बढ़ाने के साथ इसे हाइपरसोनिक गति पर उड़ाने पर भी काम कर रहे हैं।  सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में भारत और रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की रेंज को 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 600 किलोमीटर करने की दिशा में