1936 में कमला नेहरू के देहांत ने इंदिरा को बना दिया एकाकी

इंदिरा गांधी हमारे देश की एकमात्र ऐसी प्रधानमंत्री बनी जिन्होंने पंद्रह वर्ष तक देश का नेतृत्व सफलतापूर्वक किया। उनका जन्म 19 अक्तूबर 1917 में इलाहाबाद में हुआ। वह अपनी मां कमला नेहरू तथा पिता जवाहरलाल नेहरू की एकमात्र संतान थीं। बचपन से ही वो कुशाग्र बुद्धि तथा जुझारू स्वभाव की थी। कमला नेहरू की तबीयत अधिकतर खराब रहने के कारण इंदिरा का बचपन इलाहाबाद में तथा स्विट्जरलैंड में बीता जहाँ उनकी मां का इलाज चल रहा था। उन्होंने अपनी शिक्षा विश्व भारती यूनिवर्सिटी तथा समरविले कॉलेज ऑक्सफोर्ड से प्राप्त की। 


 1936 में कमला नेहरू के देहांत ने इंदिरा को एकाकी बना दिया । पिता के पूरी तरह से राजनीति में लीन होने के कारण इंदिरा का परिचय देश भर के राजनेताओं से था। स्वयं इंदिरा का राजनीति की ओर कोई रुझान नहीं था।अपने पिता के देश के पहले प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री निवास की आधिकारिक व्यवस्थापिका मनोनीत किया गया। इसी कारण कई विदेशी दौरों पर इंदिरा अपने पिता के साथ गईं। 1942 में फिरोज गांधी से उनका विवाह हुआ जो बाद में संसद सदस्य तथा राजनीतिज्ञ बने। दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु 1960 में हो गई।


जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद 1964 में नए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पद दिया। इसी वर्ष वे पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। लाल बहादुर शास्त्री की 1966 में हुई असामयिक मृत्यु ने देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना दिया । सभी बड़े नेता प्रधानमंत्री के पद की दौड़ में थे ऐसे में किसी एक नाम पर सहमति बनना नामुमकिन हो गया था।अंततः सभी ने अनुभवहीन इंदिरा के नाभ पर यह सोच कर मुहर लगा दी कि उनसे अपने मतानुसार शासन का कामकाज करवाना आसान रहेगा, परंतु अपनी कुशाग्र बुद्धि और जुझारू स्वभाव के कारण शीघ्र ही इंदिरा ने अपना स्वतंत्र आधिपत्य स्थापित कर लिया तथा अपने विरोधियों को पराजित कर दिया।


1966 से 1977 तक इंदिरा ने प्रधानमंत्री के रूप में काय किया। 1971 में पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में अराजकता का माहौल पैदा कर दिया था जिसकी वजह से लगभग दस लाख शरणार्थियों ने भारत में शरण ली। भारत-पाकिस्तान के इस युद्ध में भारत की विजय ने इंदिरा को लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचा दिया। पाकिस्तान के राष्ट्रपति को शिमला में एक सप्ताह लंबी बातचीत के लिए बुलाया गया तथा अंततः दोनों देशों के बीच शिमला समझौता हुआ इस समझौते के अनुसार दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया कि कश्मीर की समस्या का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से ही किया जाएगा। इसी युद्ध के फलस्वरूप एक नए देश का जन्म बांग्लादेश के रूप में हुआ। यह इंदिरा के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।


इसके बाद उन्होंने 1974 में एक और बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय परमाणु परीक्षण कराने का लिया। इसके साथ विश्व राजनीति के पटल पर उनकी लोकप्रियता को नए आयाम मिले। संसार ने उन्हें एक दृढ़ इरादों वाली जुझारू और तेज दिमाग वाली कुशल राजनेता के रूप में जाना। परंतु 1973 में देश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा,  जिनमें महंगाई, भ्रष्टाचार, देश की आर्थिक समस्याएँ आदि शामिल थीं ।


उनकी कुछ अच्छी योजनाएँ भी थीं जिनमें अनाधिकृत झोंपड़पटि्टयों को हटाना तथा परिवार नियोजन को बढ़ावा देना थीं। इन योजनाओं का क्रियान्वयन बलपूर्वक कराया जाना भी इंदिरा के विरुद्ध गया। देश में उनके विरुद्ध असंतोष फैल गया। जून 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें अपने चुनाव अभियान में कई अनिमयतताओं का आरोपी ठहराते हुए अपनी लोकसभा सीट से त्याग पत्र देने का आदेश जारी किया । उनके इस्तीफे की भी मांग उठने लगी।



विरोधियों पर काबू पाने के लिए इंदिरा ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में भेजा गया। 1977 में हुए चुनावों में इंदिरा को भयानक हार का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें जेल भी जाना पड़ा।सभी राजनीतिक विश्लेषकों ने उन्हें राजनीतिक तौर पर समाप्त घोषित कर दिया। लेकिनअपनी कभी हार न मानने वाली शैली के कारण तीन वर्ष बाद अपने सभी विरोधियों को एक बार फिर परास्त करते हुए इंदिरा ने प्रधानमंत्री के रूप में सफलतापूर्वक वापसी की।


इस बार उनके सामने पंजाब में आतंकवाद की समस्या सामने खड़ी थी। इस समस्या से निबटने के लिए उन्होंने जून 1984 में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' में सेना की मदद ली। हालाँकि यह अभियान सफल रहा और पंजाब से आतंकवाद का सफाया हो गया परंतु इसके फलस्वरूप 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों ने हत्या कर दी।


पुनश्चः- इंदिरा गांधी ने देश को कई महत्वपूर्ण लाभदायक अभियान दिए। उन्होंने परिवार नियोजन की ओर आम जनता का ध्यान दिलाया। हरित क्रांति' उनकी ऐसी एक और महत्वपूर्ण योजना थी जिसे बाद में आने वाली सभी सरकारों ने क्रियान्वित किया। देश के कृषि सुधारों पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया। आम जनता से सीधा संवाद स्थापित करने में वे पारंगत थीं। उनके द्वारा दिए गए अनेक लोकप्रिय नारों में से एक नारा अत्यधिक लोकप्रिय रहा 'गरीबी हटाओ'।


इंदिरा गांधी अपनी प्रभुसत्ता पूर्ण रूप से बनाए रखती थीं तथा एक संवेदनशील सुसंस्कृत महिला होने के बावजूद अपने विरोधियों को क्षमा नहीं करती थीं।अपने निणयों के प्रति किसी भी प्रकार की आलोचना और असंतोष वह बर्दाश्त नहीं करती थीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने असाधारण राजनीतिज्ञ तथा कूटनीतिज्ञ की ख्याति अर्जित की।


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