अध्यात्म की नगरी ऋषिकेष, देश ही नहीं विदेशी आकर्षण का भी है महत्वपूर्ण केन्द्र
हरिद्वार में जहां शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिये जहाँ बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान करने आते हैं वहीं इसकी कुछ ही दूरी पर बसा ऋषिकेष अपनी अलग विशेषता के कारण आकर्षित करता है। यहाँ त्रिवेणी घाट पर बैठने से जैसे खुद को जानने का अवसर मिलता है। अध्यात्म की नगरी ऋषिकेष, देश ही नहीं विदेशी आकर्षण का भी महत्वपूर्ण केन्द्र बिंदु है। मन की शांति पाने एवं स्वयं की तलाश में सालों भर अध्यात्मिक पर्यटक यहाँ आकर जीवन दर्शन से परिचित होते हैं।
ऐसी मान्यता है कि पवित्र नदियों- गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम से बने इस त्रिवेणी घाट पर स्नान करने से तन-मन सब पवित्र हो जाते हैं। यहाँ आना मनोरम प्रतीत इसलिये भी होता है कि घाट के सामने दूसरे छोर पर पहाड़ और जंगल इसे प्रकृति से पूरी तरह जोड़ती है। त्रिवेणी घाट पर हर शाम होने वाली गंगा आरती भक्तों के रोम-रोम में भक्ति भाव भर देती है।
गंगा आरती के बाद होने वाले भजन संध्या और उस पर भक्तों द्वारा किये गये भाव नृत्य ऋषिकेष भ्रमण करने आये पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। इस भजन संध्या में बीरेन्द्र वर्मा और उनकी टीम की मधुर गायिकी श्रोताओं और दर्शकों को इसमें शामिल होने के लिये मजबूर कर देती है। झूमते-गाते भक्तों की भीड़ में फिर क्या देशी और विदेशी, सब रमे से नजर आते हैं। इसलिये अगर आप भागदौड़ की जिंदगी से थक रहे हैं, और शांति की तलाश है तो ऋषिकेष ऐसी जगह है जो आपको बेहद सुकून देगा।