फिल्म ज्वेल थीफ में पहली बार खलनायक के रुप में दिखे दादामुनि
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में दादामुनि के नाम से मशहूर अशोक कुमार का जन्म भागलपुर के बंगाली परिवार में आज ही के दिन13 अक्टूबर 1911 को हुआ था। इनका वास्तविक नाम कुमुद कुमार गांगुली था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में प्राप्त की। इसके बाद स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की।
अशोक कुमार को बचपन से ही फिल्मों में काम करके शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने की चाहत थी। 1936 में बॉम्बे टॉकीज की फिल्म जीवन नैया से इनका फिल्मी सफर शुरू हुआ। 1937 में अछूत कन्या आई। इन फिल्मों में देविका रानी अशोक कुमार की नायिका रही।
1943 में आई किस्मत ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए कोलकाता का चित्रा सिनेमा हॉल में लगभग 4 वर्ष तक चलने का रिकॉर्ड बनाया। 1949 में की फिल्म महल ने अभिनेत्री मधुबाला के साथ-साथ पार्श्व गायिका लता मंगेशकर को भी शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचाया। 1967 की फिल्म ज्वेल थीफ में ये पहली बार खलनायक के रूप में दिखे।
दूरदर्शन के इतिहास के धारावाहिकों में हम लोग, भीम भवानी, बहादुर शाह जफर और उजाले की ओर में अभिनय के जौहर दिखाए। ये दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजे गए। पहली बार राखी 1962 और दूसरी बार आशीर्वाद 1968 में और 1988 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हुए।
इस फिल्मी सफर को तय करते 10 दिसंबर 2001 को मुंबई में अशोक कुमार ने इस दुनियां को अलविदा कर दिया। पाठक मंच के साप्ताहिक कार्यक्रम इंद्रधनुष की 687वीं कड़ी में यह जानकारी दी गई।