देश में मातृ मृत्यु दर अनुपात में एक साल में आयी 8 अंकों की कमी
स्वास्थ्य मंत्री ने इस अवसर पर उन 11 राज्यों को बधाई दीं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत 2020 तक के लिए निर्धारित एमएमआर 100 प्रति लाख तक जीवित जन्म का तय लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। इन राज्यों में केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और हरियाणा शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए जारी एमएमआर बुलेटिन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इन राज्यों के लिए पहली बार अलग से ऐसा बुलेटिन प्रकाशित किया गया है। बुलेटिन के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना में पहली बार मातृ मृत्यु दर में गिरावट दर्ज हुई है और यह एमएमआर के राष्ट्रीय औसत 6.2 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा या बराबर है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आंकड़े इस बात पर भी प्रकाश डालते है कि मातृ मृत्यु दर घटाने के लिए संस्थागत स्तर पर प्रयासों को सर्वोच्च प्राथमिकता वाले जिलों में रहने वाले सबसे गरीब और कमजोर आबादी पर केन्द्रित किया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम और जननी सुरक्षा योजना जैसी गुणवत्तायुक्त सरकारी जन स्वास्थ्य सेवाओं ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत एसडीजी में तय एमएमआर का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है। हालांकि असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को यह लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने प्रयासों को और तेज करना होगा।
लक्ष्य, पोषण अभियान और एसयूएमएएन (सुरक्षित मातृत्व आश्वासन) के रूप में नई पहल यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि सभी गर्भवती महिलाओं को गरिमा के साथ गुणवत्तापूर्ण मातृत्व देखभाल प्राप्त हो और किसी माता या नवजात शिशु को किसी तरह के निरोधात्मक उपायों के कारण जान न गंवानी पड़े।