जाएं तो जाएं कहाँ
अब तो कॉम्पीटिशन कोई ऐसा चलाया जाए,
जिसमें प्रतियोगी को प्रतियोगी बनाया जाए।
जिसकी मेहनत से महक जाए भारत का हर घर,
नौकरी एस कदर दिलायी जाए।
आग निकलती है हृदय से जब समंदर में,
हम नहाकर भी तृप्त न हो पाए।
ऐसी भावनाओं को समझने के लिये साहब,
हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए।
प्रतियोगी के दुख-दर्द का तुम पर कुछ असर हो जाए,
मैं रहूँ भूखा तो तुमसे भी न खाया जाए।
बस पा लूँ जिन्दगी में तुम्हें प्रसिद्धि मेरी हो जाए,
मरने के बाद वो हमें याद रखे कि मौत भी जिंदगी बन जाए।।