जीवन की जटिलता
तड़पन है, छटपटाहट है,
धूप-छाँह की तरह क्षण-क्षण,
वेष बदलती है,
अचेतन मन में।
अँधेरी गहरी सुरंगें, घाटियों,
नाटकीय ढ़ंग से जुड़ी है।
रहस्यमयी लोक में,
अँधेरे में सीढ़ियाँ हैं,
अथाह काला जल है।
निचली सीढ़ी पानी में डूबी है,
मस्तिष्क अबूझ लगता है।
नई रंगों और नई रसों की
खोज में, यह सोचकर,
कोशिश करती कई,
कि कोशिश करने वालों की,
कभी हार नहीं होती
बेचैन मन जीवन की
जटिलता रूपी कुएँ में समाता गया,
समाता गया !