ट्राइब्स इंडिया की मुख्य डिजाइन सलाहकार के रूप में ट्राइफेड के साथ फैशन डिजाइनर रितु बेरी की हुई भागीदारी
दुनिया भर में विभिन्न देशों के साथ काम करने के अपने अनुभव के कारण बेरी इस बात से बखूबी अवगत हैं कि किसी क्षेत्र की संस्कृति के मुताबिक कैसे ढला जाता है और स्थानीय लोगों के दिलों को कैसे छूआ जाता है। फैशन की बेहतरीन समझ से युक्त उनका यह विशेष कौशल ट्राइब्स इंडिया को ऐसे स्तर तक ले जाएगा, जहां समूचे भारत और दुनिया भर के लोग शानदार जनजातीय संस्कृति और कला शैलियों के साथ अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे।
इस अवसर पर बेरी ने ट्राइब्स इंडिया के साथ मिलकर तथा 1,50,000 से अधिक जनजातीय कारीगरों द्वारा दस्तकारी किए गए विश्व स्तरीय उत्पादों के लिए दुनिया भर में पहचान स्थापित करने की दिशा में कार्य करने का उत्साह व्यक्त किया।
दरअसल, हर राज्य अपने वीडीवीके से 2 डेमो यूनिट स्थापित करेगा और वर्तमान में 11 राज्यों ने 21 डेमो इकाइयों की पहचान की है, जिनकी स्थापना दिसंबर 2019 तक हो जाएगी। ट्राइफेड ने मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, प्रधान सचिवों, राज्य नोडल विभागों के प्रतिनिधियों, कार्यान्वयन एजेंसियों, परामर्श संगठनों, जनजातीय एसएचजी सदस्यों आदि की भागीदारी के साथ दो राष्ट्रीय स्तर की और 5 राज्य स्तरीय प्रचार कार्यशालाएं (एडवोकेसी वर्कशॉप्स) भी आयोजित की हैं।
इन कार्यशालाओं का आयोजन उन्हें वन धन कार्यक्रम के बारे में जागरूक करने और वीडीवीके की स्थापना के लिए राज्य वन धन योजना तैयार करने में सहायता प्रदान करने के लिए किया गया। ट्राइफेड पीएमवीडीवाई के तहत सभी गतिविधियों के आंकड़ों के संग्रहण, ट्रैकिंग और निगरानी के लिए एक मजबूत वेब-आधारित आईटी प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित कर रहा है।
ट्राइफेड अगले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष 45 लाख जनजातीय परिवारों को कवर करने के लिए 3000 वीडीवीके की स्थापना करेगा और इस कार्यक्रम के तहत लगभग 2 करोड़ जनजातीय लाभार्थियों की मदद करने का लक्ष्य है। यह जनजातीय हस्तशिल्पों और जनजातीय हथकरघों के लिए बाजार विकसित करने के वास्ते 117 ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स के अपने नेटवर्क का लाभ उठाएगा और एमएफपी मूल्य वर्धित उत्पादों के विपणन के लिए एक राष्ट्रव्यापी खुदरा नेटवर्क विकसित करने के लिए अन्य विपणन कंपनियों के साथ संपर्क स्थापित करेगा।
ट्राइफेड ने जनजातीय संस्कृति, शिल्प, भोजन और वाणिज्य के माध्यम से वन धन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए यूनिसेफ के साथ भी भागीदारी की है।