जिस बैंक के बाहर दो दिन पहले पैसे निकालने के लिये लोगों की भीड़ दिख रही थी, वहीं अब लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए
वैश्विक महामारी कोरोना से बचने का इस वक्त हर प्रभावित देशों के पास बस एक ही इलाज है, सोशल डिस्टेंसिंग यानि सामाजिक दूरी। सब इसी को अपनाते हुए काफी हद तक बीमारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में केरोना अधिक लोगों में न फैले, इसके लिये पहले चरण में पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया और फिर इसकी अवधि पूरी होने के दिन 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई कर दिया है, और इसे और कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिये हैं, ताकि कोरोना अप्रभावित क्षेत्रों में अपने पैर अधिक न पसार सके।
लिहाजा, पूर्व में जहां इसमें कमी रही उसमें सुधार भी देखने को मिलने लगा है। झारखंड के सरायकेला जिला में बैंक ऑफ इंडिया के बड़ा आमदा शाखा में सोमवार 13 अप्रैल को जिस तरह बैंक के बाहर लोगों की भीड़ देखी गई वह सोशल डिस्टेंसिग को बेमानी साबित कर रही थी। पुलिस और बैंक कर्मी उन्हें 1 मीटर की दूरी पर खड़े रहने के लिये समझा रहे थे, मगर लोग किसी तरह अपने पैसे और खातों की जानकारी पाना चाह रहे थे। ऐसे में जब इस भीड़ में खड़े लोगों से पूछा- कोरोना का खतरा नहीं लगता, जवाब मिला- डर लगता है, मगर जीने के लिये पैसा भी जरूरी है।
सोमवार को बैंक के बाहर लगी इस भीड़ के बारे में बैंक के मैनेजर बलराम हेस्सा ने बताया कि पिछले 3 दिन की छुट्टी के बाद जब बैंक खुला तो लोग एक बार ही यहां इकटठे हो गये। हालांकि इस भीड़ को सोशल डिस्टेंसिग का पालन कराने के लिये पुलिस को भी बुलाया गया, लेकिन भीड़ सुनने को तैयार नहीं थी।
वहीं, दूसरे चरण के लॉकडाउन की सख्ती का पालन अब बैंक ऑफ इंडिया के बड़ा आमदा शाखा में भी देखा जा रहा है। लोग एक दूसरे से दूरी बनाकर मुंह ढ़ंककर लाईन में खड़े अपनी बारी आने के इंतजार में दिखे। अब प्रशासन की मुस्तैदी कहें या लोगों में कोरोना के खतरे से पैदा हुई जागरूकता, दोनों ही हाल में लोगों ने सामाजिक दूरी को फिलहाल अपना लिया है। अब बस सबको इंतजार है कि जल्दी ही कोरोना को हराने का कुछ ठोस उपाय निकले और जिंदगी को फिर से गति मिले।