वनवास के दिनों में छत्तीसगढ़ से गुजरे भगवान राम के मार्ग पर बनेगी वाटिका


5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखे जाने को लेकर पूरे देश में हर्ष का माहौल है। ऐसे में छ्त्तीसगढ़ में विकसित किये जा रहे राम वन गमन पथ को जीवंत करने के लिए खाका तैयार किया गया है। प्रदेश सरकार, पौराणिक उल्लेखों के अनुसार भगवान राम के द्वारा उपचार में लाये जाने वाले औषधि और उनके प्रिय कंदमूल और मीठे फलों के पौधों का रोपण राम मार्ग पर करेगी। जिसकी शुरुआत अगस्त माह से ही किया जाएगा।


प्रदेश सरकार ने भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को सहेजने और पुनर्स्थापित करने का काम शुरू किया है। इसी परिप्रेक्ष्य में राम वन गमन पथ पर पर्यटन-तीर्थ सर्किट विकसित किया जा रहा है, जिसे पौराणिक उल्लेखों के अनुसार जीवंत बनाने के लिए डेढ़ लाख से अधिक औषधीय पौधों, कंदमूल और मीठे फलों का रोपण किया जाएगा।


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर इसी महीने काम शुरू हो जाएगा। राम के वनवास काल से संबंधित 75 स्थानों को चिन्हित कर उन्हें नये पर्यटन सर्किट के रुप में आपस में जोडा़ जा रहा है। पहले चरण में उत्तर छत्तीसगढ़ में स्थित कोरिया जिले से लेकर दक्षिण के सुकमा जिले तक 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण तथा विकास किया जा रहा है। इस पर 137 करोड़ 75 लाख रुपये खर्च होंगे।



ये सभी स्थान पहले ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर हैं। अब इन्हें और भी हराभरा किया जाएगा। सभी चयनित पर्यटन-तीर्थों पर सुगंधित फूलों वाली सुंदर वाटिकाएं तैयार की जाएंगी। राम वन गमन के 528 किलोमीटर मार्ग के दोनों किनारों पर डेढ़ लाख से अधिक पौधे रोपित करने की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई है। मूल परियोजना पर काम शुरू होने से पहले ही विभाग ने अपना 90 प्रतिशत काम पूरा भी कर लिया है। पूरे मार्ग पर पीपल, बरगद, आम, हर्रा, बेहड़ा, जामुन, अर्जुन, खम्हार, आंवला, शिशु, करंज, नीम आदि के पौधों का रोपण किया जा रहा है।


राम वन गमन पथ के माध्यम से दुनियाभर के सामने राज्य जैव विविधता का प्रदर्शन भी किया जाएगा। यह परिपथ कोरिया स्थित गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान, सूरजपुर स्थित तमोर पिंगला अभयारण्य, बलरामपुर के सेमरसोत अभयारण्य, जशपुर के बादलखोल अभयारण्य, रायगढ़ के गोमर्डा अभयारण्य, मुंगेली के अचानकमार अभयारण्य, कवर्धा के भोरमदेव अभयारण्य, बलौदाबाजार स्थित बारनवापारा अभयारण्य, धमतरी स्थित सीतानदी अभयारण्य, गरियाबंद के उदंती अभयारण्य, बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, बीजापुर के इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, पामेड़ और भैरमगढ़ अभयारण्यों को भी एक-दूसरे के करीब लाएगा। इनमें से उदंती तथा सीतानदी अभयारण्यों को 2009 से टाइगर रिजर्व घोषित किया जा चुका है।


 


 


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