बैंकों के निजीकरण के विरोध में देशव्यापी बैंक हड़ताल के समर्थन के लिये झिंकपानी टोंटों ब्रांच में रोके गये काम-काज
चिन्मय दत्ता,
इन्हीं सारी विषयों को देखते
हुए यूनियन ने दो दिवसीय बैंक हड़ताल का आह्वान किया है और सभी ग्राहक बंधुओं से
निवेदन किया है कि आप अपने सोशल नेटवर्क जैसे फेसबुक , इंस्टाग्राम या टि्वटर के माध्यम से
प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को इस बात
के लिए प्रेरित करें की बहुत मुश्किल से हमारे देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो
पाया है।
ऐसे समय में पुनः इनका निजी करण करना सूदखोरी प्रथा को दोबारा पुनर्जीवित करने के सामान है क्योंकि निजी कंपनियां भविष्य में न्यूनतम बैंक जमा राशि को 5000 में तब्दील कर सकती हैं जो वर्तमान समय में इसी सरकार की बदौलत 2000 रुपए है । आगे चलकर इस पर सरकार का और आम नागरिक का कोई बस नहीं चल पाएगा और ऋण के तले दबते चले जाएंगे क्योंकि रेट ऑफ इंटरेस्ट तय करने का अधिकार कंपनी के पास चला जाएगा और कंपनी अपने मुनाफे के लिए किसी भी हद तक अपनी संपत्ति को बढ़ाने की दिशा में कार्य करेगा जिससे देशवासियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
नीलम नंदिनी दिग्गी ने आगे कहा कि इसी छोटे ब्रांच में न्यूनतम बैंक जमा राशि ₹1000 है इसे भी बढ़ाकर कल को निजी कंपनी ₹3000 रुपए पर ले जा सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अभी बैंकों में खाता खुलवाने की राशि न्यूनतम ₹500 रुपए है, भविष्य में निजीकरण होने पर यह रकम बढ़ कर किसी भी हद तक जाने की बात पर इनकार नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने इस बजट में यह ऐलान किया था कि इस साल सरकार ने 2 सरकारी बैंकों एवं 1 बीमा कंपनी के निजीकरण का फैसला किया है। वर्तमान में देश में 12 सरकारी बैंक हैं। 2 बैंकों के निजीकरण के बाद संख्या घटकर 10 रह जाएगी। इन 2 बैंकों के निजीकरण के खिलाफ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के बैनर तले 9 यूनिटों ने 15 व 16 मार्च को हड़ताल का ऐलान किया।