अद्भुत गुड़हल कर रहा है लोगों को आकर्षित
चिन्मय दत्ता, चाईबासा
राधा मोहन, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत कृषि प्रौद्योगिकी
प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक हैं, जो चक्रधरपुर प्रखंड में
प्रतिनियुक्त हैं। कृषि जगत के संपर्क में रहने के कारण इन्हें फूलों से बहुत
प्रेम है। इनके बगीचे में विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधे हैं। दरअसल, इन्होंने 2018 में अपने गांव आदरडीह
स्थित अनुकूल ठाकुर आश्रम में लगे गुड़हल फूल की एक डाली लाकर अपने बगीचे में लगाया जो अब बड़ा रूप ले चुका
है। इसकी ऊंचाई अब छह फीट से अधिक है। शुरूआत से इस पौधे में क्रीम कलर की पांच
पंखुड़ियों वाले गुड़हल फूल खिलते रहे हैं, परंतु 9 मई 2021 से संयोगवश तीन ऐसे फूल
खिले जिसमें चार पंखुड़ियां रही। जबकि इसकी अधिकांश प्रजातियां पांच पंखुड़ियों
वाली होती है।
पर्यावरण के दृष्टिकोण से
आश्चर्यचकित बात यह है कि प्रत्येक बार चमत्कारी रूप से चार पंखुड़ियों में दो
नारंगी और दो लाल जोड़ चिन्ह के रूप में व्यवस्थित ढंग से दिखाई दिए, जिसे देखने के लिए लोग
उत्साहित हो जाते हैं। जबकि गांव में ही अवस्थित अनुकूल ठाकुर आश्रम में वह पौधा
आज भी है, जिसकी
डाली से यह पौधा बना है, परंतु
आश्रम के पौधे में ऐसे आश्चर्यजनक फूलों की झलक भी नहीं है। राधा मोहन के चाचा
पितवास कुमार आश्रम के सदस्य हैं। प्रतिदिन सुबह शाम आश्रम की प्रार्थना सभा में
नियमित रूप से शामिल होना उनकी दिनचर्या है।
गुड़हल मालवेसी परिवार से
संबंधित फूलों वाला पौधा है। इस परिवार के अन्य सदस्यों में कोको, कपास, भिंडी और गोरक्षी आदि
प्रमुख हैं। विश्व में गुड़हल के लगभग 220 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसकी कुछ प्रजातियां को इनके सुंदर फूलों के लिए
उगाया जाता है। यह एक पूर्ण एवं नियमित फूलों की श्रेणी में आता है। गुड़हल को
मलेशिया तथा दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय फूल के रूप में स्वीकार किया गया है।